महिलाये शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है, और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है।
दहेज़ प्रथा , कन्या भूर्ण हत्या, घरेलू हिंसा, महिला व पुरुष बराबर परिश्रमिक नहीं मिलना, योन शोषण आदि महिला सशक्तिकरण में मुख्य बाधा है।
समय के साथ सरकार ने महिलाओ की स्थिति सुधरने के लिए कई कानून बनाये है। जिसमे -
बिना शिक्षा के महिला की प्रस्थिति में सकारात्मक परिवर्तन असंभव है।
शिक्षा के माध्यम से महिलाओ में जागरूकता आयी है। वे अपने बारे में सोचने लगी है। उन्होंने महसूस किया है की घर से बाहर भी जीवन है। महिलाओ में आत्म विश्वास का संचार हुआ है उनके वक्तित्व में निखार आया है।
अभी भी भारत के कई हिस्सों में समाज में महिलाओं को उचित अधिकार प्राप्त नहीं है उन्हें पुरुषों से कमतर समझा जाता है। इसलिए हमे जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण के बिना अन्याय लैंगिक पक्षपात और असमानता को दूर नहीं किया जा सकता है। यह महिलाओं की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
वर्तमान में स्त्रियों की समस्या, असमान लिंगानुपात, स्त्रियों औसत आयु में कमी, एवं मृत्युपर की अधिकता के लिए बालविवाह, प्रसव काल में स्त्रियों की मृत्यु स्त्रियों की आर्थिक परिनिर्भरता लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक कुपोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं का आभाव आदि उत्तरदायी है।
महिलाये परिवार बनती है। परिवार घर बनता है। घर समाज बनता है और अच्छा समाज ही अच्छा देश बनता है।
महिला के शुभ क़दमों से ही घर में श्रेष्ठता और सम्पन्नता बनी रहती है जिस घर में सद्गुण सम्पन्न नारी सुखपूर्वक निवास करती है, उस घर में सदैव सम्पन्नता रहती है। यदि घर की महिलाये खुश, सुखी और स्वस्थ है। तो वह घर भी हमेशा भरा पूरा रहता है। महिला किसी परिवार की घुरी होती है। इसलिए महिलाओं का सम्मान अति आवश्यक है।
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